कुमार विश्वास बने गायक, देर रात तक कविताओं के रंगों से सराबोर हुए श्रोता

बनारस क्लब की रात कवि कुमार विश्वास के गीतों से गुलजार हो उठी। क्लब की ओर से होली पर आयोजित फाग उत्सव में कुमार विश्वास ने देर रात तक श्रोताओं को अपने गीतों और कविताओं के रंगों से सराबोर कर दिया। होली का खुमार ऐसा चढ़ा कि कवि कुमार विश्वास गायक बन बैठे। उन्होंने रंग दे चुनरिया रंग दे... की तान संगीत के साथ छेड़ी तो श्रोता भी खुद को थिरकने से नहीं रोक सके। इस दौरान उन्होंने होली की ठिठोली और अपने चिरपरिचित गीतों की रंगत बिखेरी।


बनारस क्लब में बृहस्पतिवार की देर शाम कुमार विश्वास ने फाग उत्सव का मंच संभाला। उन्होंने शुरूआत होली से करते हुए बताया कि तीन लोकों से न्यारी शिव की नगरी की होली भी अनोखी है। रंगों के साथ ही यहां मशान की होली का भी अपना महत्व है।




इस दौरान उन्होंने श्रोताओं की मांग पर अपनी चिरपरिचित कविताएं कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है...सुनाया तो पूरा क्लब तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। जख्म इतने मिले फिर सिले ही नहीं, दीप ऐसे बुझे की जले ही नहीं...., हवा का काम है चलना, दीए का काम है जलना...., इस अधूरी कहानी का क्या फायदा, जिसमें धुलकर नजर भी न पावन बने, आंख में ऐसे पानी का क्या फायदा....सुनाकर राजनीतिक व्यंग्य भी किया।

देर रात तक कुमार विश्वास की कविताओं का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोला। इस दौरान उदय राजगढि़या, राकेश बजाज, जयदीप सिंह, नवीन कपूर, तन्मय जैन, दीपक कुमार माहेश्वरी, अलका माथुर, गौतम टंडन, गौरव दास, दीपक बहल, प्रफुल्ल सोमानी, डॉ. प्रिया शर्मा, डॉ. श्रुति आनंद, अभिनव पांडेय, रितेश और सुयश अग्रवाल मौजूद रहे।